“उपयोगिता का सृजन करना उत्पादन कहलाता है.”
एक अन्य परिभाषा के अनुसार:-
“आगतों का निर्गतों में रूपांतरण उत्पादन कहलाता है.”
कोई भी वस्तु जो हमारी आवश्यकता को पूरा करती है वह हमारे लिए उपयोगी होती है. अलग-अलग वस्तुओं में उपयोगिता का स्तर अलग-अलग होता है. हम वस्तुओं के रूप या गुण में परिवर्तन करके उनकी उपयोगिता को बढ़ा सकते हैं. उदाहरण के लिए मिट्टी का हमारे लिए कोई विशेष उपयोग नहीं है. परंतु जब हम उसकी ईंटें बनाकर गृह-निर्माण में उसका प्रयोग करते हैं तो मिट्टी की उपयोगिता बढ़ जाती है. इसी प्रकार पृथ्वी से प्राप्त होने वाले खनिज और धातुओं का कच्चा रूप हमारे लिए उतना उपयोगी नहीं है. परंतु जब हम कारखानों में उनका रूप परिवर्तन करके उनसे मशीनें, गाड़ियाँ, औजार और अन्य उपयोगी वस्तुएँ बनाते हैं तो उनकी उपयोगिता बढ़ जाती है. उपयोगिता का सृजन करना या उपयोगिता में होने वाली इस वृद्धि की प्रक्रिया को उत्पादन कहा जाता है.
जिन वस्तुओं की आवश्यकता किसी दूसरी बेहतर वस्तु को बनाने के लिए पड़ती है, उन सभी वस्तुओं को आगत या (Input) कहा जाता है तथा कच्चा माल और कुछ वस्तुओं का प्रयोग करके कोई बेहतर वस्तु जब बन जाती है तो उसे बनी हुई वस्तु को निर्गत (Output) कहा जाता है. इस प्रकार जिस प्रक्रिया के अंतर्गत हम आदतों का निर्गतों में रूपांतरण करते हैं, उसे उत्पादन कहा जाता है. उदाहरण के लिए, एक कार बनाने के लिए लोहा, प्लास्टिक, रबड़ आदि जिन वस्तुओं की आवश्यकता होती है तथा श्रमशक्ति और मशीनों का जो प्रयोग होता है, इन सब को आगत कहा जाएगा तथा इन सब का प्रयोग करके उत्पादित वस्तु यानी कार, को निर्गत कहा जाएगा। तो इस प्रकार कच्चे माल का प्रयोग करके उससे कोई बेहतर वस्तु बनाने को उत्पादन कहा जाता है.