NCERT 12th Economics – Unit 4 – Chapter 13 – एकाधिकार, एकाधिकारी प्रतियोगिता एवं अल्पाधिकार (Monopoly, Monopolistic Competition & Oligopoly) वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं लघुत्तरात्मक प्रश्न

1. एकाधिकार बाजार से क्या अभिप्राय है?

उत्तर: बाजार की वह स्थिति जिसमें किसी वस्तु या सेवा का एक ही उत्पादक होता है तथा उस वस्तु का कोई निकट स्थानापन्न नहीं होता उसे एक एकाधिकारी बाजार कहते हैं।

2. एकाधिकारी प्रतियोगिता बाजार से क्या अभिप्राय है?

उत्तर: वह बाजार जिसमें किसी वस्तु के बहुत सारे विक्रेता होते हैं परंतु प्रत्येक विक्रेता की वस्तु किसी न किसी रूप में अन्य विक्रेताओं से अलग होती है, उसे एकाधिकारी प्रतियोगिता बाजार कहते हैं। वस्तुओं की भिन्नता ब्रांड, ट्रेडमार्क आदि के आधार पर हो सकती है।

3. अल्पाधिकार बाजार से क्या अभिप्राय है?

उत्तर: बाजार की व्यवस्था जिसमें किसी वस्तु के कुछ ही बड़े विक्रेता और बड़ी संख्या में क्रेता होते हैं, अल्पाधिकार बाजार कहलाता है। विक्रेता कीमत तथा उत्पादन संबंधी निर्णयों को प्रभावित करते हैं।

4. बाजार किसे कहते हैं?

उत्तर: बाजार वह तंत्र है जिसके द्वारा क्रेता और विक्रेता एक दूसरे के संपर्क में आते हैं। इसके लिए किसी स्थान का होना आवश्यक नहीं है।

5. बाजार का वर्गीकरण करने का आधार क्या है?

उत्तर: बाजार के वर्गीकरण के निम्नलिखित आधार हैं:

  • विक्रेताओं की संख्या
  • वस्तु की प्रकृति
  • कीमत नियंत्रण की डिग्री
  • बाजार का ज्ञान
  • कारकों की गतिशीलता

6. गैर-कीमत प्रतियोगिता का क्या अर्थ है?

उत्तर: वस्तु की कीमत में परिवर्तन किए बिना ग्राहकों को विभिन्न प्रकार की सुविधाएँ और उपहार देकर अपनी और आकर्षित करके प्रतियोगिता करना, गैर-कीमत प्रतियोगिता कहलाती है।

7. वस्तु विभेद से क्या अभिप्राय है?

उत्तर: बाजार की वह स्थिति जिसमें उत्पादक अपने उत्पाद को अन्य सभी प्रतियोगियों के उत्पादन से अलग बनाने का प्रयास करते हैं, उसे वस्तु विभेद कहते हैं।

8. व्यापार गुट (कार्टेल) का क्या अर्थ है?

उत्तर: उत्पादन तथा कीमत नीति के बारे में फर्मों का आपस में समझौता करना व्यापार गुट कहलाता है।

9. कीमत विभेद से क्या अभिप्राय है?

उत्तर: एक ही वस्तु को अलग-अलग क्रेताओं को अलग-अलग कीमतों पर बेचना कीमत विभेद कहलाता है।

10. विज्ञापन लागतें क्या होती हैं?

उत्तर: फर्म को अपनी बिक्री बढ़ाने के लिए विज्ञापन और प्रचार पर धन खर्च करना पड़ता है, जिसे विज्ञापन लागत कहते हैं।

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