अर्थशास्त्र को 1933 में प्रसिद्ध अर्थशास्त्री रागनार फ्रिश (Ragnar Frisch) ने दो भागों में बांटा था: व्यष्टि अर्थशास्त्र और समष्टि अर्थशास्त्र. व्यष्टि अर्थशास्त्र और समष्टि अर्थशास्त्र में निम्नलिखित अंतर हैं:
व्यष्टि अर्थशास्त्र | समष्टि अर्थशास्त्र |
1. व्यष्टि अर्थशास्त्र में व्यक्तिगत आर्थिक इकाई के आर्थिक व्यवहार का अध्ययन किया जाता है, जैसे एक उपभोक्ता, एक फर्म, एक उत्पादक आदि. | 1. समष्टि अर्थशास्त्र में संपूर्ण अर्थव्यवस्था के स्तर पर बड़े आर्थिक समूहों का अध्ययन व अन्तर्सम्बन्धों का विश्लेषण किया जाता है, जैसे समग्र माँग, समग्र पूर्ति, राष्ट्रीय आय इत्यादि। |
2. इसकी मुख्य समस्या कीमत निर्धारण है, इसलिए इसे ‘कीमत सिद्धांत’ भी कहा जाता है. | 2. इसकी मुख्य समस्या आय व रोजगार का निर्धारण है, इसलिए इसे ‘आय व रोजगार का सिद्धांत’ भी कहते हैं. |
3. इसका उद्देश्य संसाधनों के सर्वोत्तम आबंटन से होता है. | 3. इसका उद्देश्य संसाधनों के पूर्ण रोजगार व विकास से होता है. |
4. इसमें अध्ययन का ढंग आंशिक संतुलन विधि होती है, जिसमें यह माना जाता है कि अन्य बातें समान रहती हैं. | 4. इसमें अध्ययन का ढंग सामान्य संतुलन विधि होती है, जिसमें सभी संबंधों को समरूपता से लिया जाता है. |